महाकुंभ का समापन, 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

45 दिन चलने वाले महाकुंभ में 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई, जिससे 3 लाख करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

महाशिवरात्रि पर अंतिम शाही स्नान के साथ महाकुंभ का समापन हो गया है। अंतिम दिन 1.53 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। 45 दिनों से महाकुंभ हिंदू आस्था का केंद्र बना हुआ था, जहां 44 दिनों में 65 करोड़ लोग स्नान कर चुके थे। महाकुंभ में आने वाली भीड़ 193 देशों की आबादी से भी कहीं अधिक थी।

योगी सरकार का दावा

 

योगी सरकार ने दावा किया कि महाकुंभ में हिंदुओं की आधी आबादी के बराबर लोग आए थे। 45 दिन चलने वाले महाकुंभ में 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस भव्य आयोजन में कई प्रसिद्ध हस्तियां भी शामिल हुईं, जिनमें एक थीं प्रीति जिंटा। उन्होंने बुधवार को संगम स्नान किया और सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। प्रीति जिंटा ने कहा, “मुझे जो अनुभव हुआ, उसे मैं बयां नहीं कर सकती।”

महाकुंभ के समापन पर भारतीय वायुसेना ने संगम पर डुबकी लगा रहे लाखों श्रद्धालुओं को आखिरी सलामी दी। इस पावन अवसर पर जहां डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा तट पर डुबकी लगा रहे थे, वहीं आसमान में सुखोई, एएन-32 और चेतक हेलीकॉप्टर श्रद्धालुओं का उत्साहवर्धन कर रहे थे। इस ऐतिहासिक क्षण ने श्रद्धालुओं को रोमांचित कर दिया।

महाकुंभ समापन पर बोले डीजीपी प्रशांत कुमार

महाकुंभ के समापन पर चर्चा करते हुए डीजीपी प्रशांत कुमार बोले, “हमने भीड़ प्रबंधन और निगरानी के लिए विश्व स्तरीय तकनीकों और एआई का इस्तेमाल किया। सभी एजेंसियों से मिले सहयोग ने हमें अभूतपूर्व तरीके से प्रदर्शन करने में मदद की। महाकुंभ बिना किसी बड़ी त्रासदी के संपन्न हो गया। हमने रेलवे के साथ मिलकर काम किया। स्नान के दिनों में 5 लाख और अन्य दिनों में 3-4 लाख लोगों ने रेलवे सेवाओं का उपयोग किया। हमें पूरा विश्वास था और जैसा कि मैंने पहले कहा, यह हमारे लिए चुनौती नहीं बल्कि अवसर था।”

3 लाख करोड़ का आर्थिक लाभ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस साल का महाकुंभ न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन रहा, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक रणनीतिक अवसर भी साबित हुआ। 2025 के महाकुंभ के लिए सरकार ने 7,500 करोड़ रुपये से अधिक का बजट निर्धारित किया था, जिससे 3 लाख करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। यह महाकुंभ को इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक प्रभाव वाले धार्मिक आयोजनों में से एक बनाता है।

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