National Herald Case: सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा 2012 में किया गया एक केस कांग्रेस पर आज तक भारी पड़ रहा है। सुब्रमण्यम का आरोप है की कांग्रेस नेताओं ने अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड अख़बार की संपत्ति को हथिया लिया।

क्या है नेशनल हेराल्ड ?
नेशनल हेराल्ड जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया एक अख़बार था। इसकी शुरुआत 1938 में की गयी थी। साल 1937 में नेहरू समेत कई अन्य स्वतंत्रता सैनानी ने Associated Journals Limited (AJL) नामक एक कंपनी का गठन किया। Associated Journals Limited ( AJL) के तहत 3 अख़बार ,अंग्रेज़ी में नेशनल हेराल्ड ,हिंदी में नवजीवन और उर्दू में क़ौमी आवाज़ की शुरुआत की गयी।

आज़ादी के बाद यह अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र बन गया। यह अख़बार लगभग 80 साल तक छपे और वर्ष 2008 में नेशनल हेराल्ड अख़बार का प्रकाशन बंद हो गया। साथ ही इस पर 90 करोड़ का क़र्ज़ भी हो गया।
नेहरू की विरासत को बचाने कांग्रेस आगे आयी और AJL की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से अपने जिम्मे ले ली। 26 फ़रवरी 2011 को कांग्रेस ने कंपनी को 90 करोड़ रुपये का लोन दिया।
Young India Limited (YIL) क्या है ?
Young India Limited (YIL) का गठन 2008 में कांग्रेस द्वारा किया गया। 50 लाख रुपये खर्च कर बनी इस कंपनी में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी 76 % की हिस्सेदारी थी। बाकि 24 % हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा की थी।
नेहरू की कंपनी AJL के 9 करोड़ शेयर को महज़ 50 लाख रुपये में गाँधी परिवार की कंपनी YIL ने खरीद लिया। कंपनी का मेजोरिटी शेयर होल्डर होने की वजह से YIL नेहरू की कंपनी AJL का मालिक बन गया। AJL को दिया गया 90 करोड़ का बिल भी माफ़ कर दिया गया।

सुब्रमण्यम स्वामी ने लगाए आरोप
सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस सरकार पर धोखाधड़ी के आरोप जड़ दिए। सुब्रमण्यम स्वामी सोनिया गाँधी , राहुल गाँधी , मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा के खिलाफ अदालत पहुंचे। उनका आरोप था की कांग्रेस ने 50 लाख में कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड की करब दो हज़ार करोड़ रुपये की सम्पत्तियों पर अवैध कब्ज़ा कर लिया है।
इसमें दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के ऑफिस भी शामिल हैं। सुब्रमण्यम ने यह भी आरोप लगाया की कॉग्रेस ने AJL को 90 करोड़ रुपयर का लोन पार्टी फंड से दिया जो की इल्लीगल है।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
केस चला और कोर्ट ने सोनिया और राहुल गाँधी समेत आया लोगों को दोषी करार किया। 2015 सभी आरोपियों को ज़मानत दे दी गयी। 2016 में ज़मानत मिलते ही गाँधी परिवार की कंपनी YIL ने नेशनल हेराल्ड के तीनो अखबारों का प्रकाशन फिर शुरू किया लेकिन केस चलता रहा। वर्ष 2021 में यह केस ED (प्रवर्तन-निदेशालय) को सौंप दिया गया।
तमाम जांच और पूछताछ के बाद इस साल अप्रैल में ED (प्रवर्तन-निदेशालय) ने 661 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने के साथ – साथ चार्जशीट भी फाइल कर दी है।