भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर जब पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बरस रहा था, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि असली जंग तो घर के भीतर भी चल रही है। अब वही तस्वीर साफ होती जा रही है—जहां दुश्मन सीमा पार नहीं, हमारी गली-मोहल्लों में छिपा बैठा था। बीते कुछ दिनों में भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे 11 लोगों को गिरफ्तार किया है जो भारत में रहते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम कर रहे थे।
चौंकाने वाली बात यह है कि ये लोग आम जिंदगी जी रहे थे—कोई यूट्यूबर था, कोई छात्र, कोई गार्ड, कोई कारोबारी। किसी को देखकर ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल था कि ये देश की जड़ें खोदने में लगे हैं।

11 पाकिस्तानी जासूसों के नाम
ज्योति मल्होत्रा, हरियाणा की एक युवती, जिसने सोशल मीडिया पर अपनी चमक से लोगों को आकर्षित किया, लेकिन उसी चमक के पीछे एक गहरा अंधेरा था। पुलिस को शक है कि वह पाकिस्तान तक गई और वहां ISI के संपर्क में आई।
देवेंद्र सिंह, एक पूर्व सैनिक का बेटा। जिस परिवार ने देश की सेवा की, उसी घर का बेटा देश को बेच रहा था—महज कुछ हज़ार रुपये के लिए।
शहज़ाद, एक व्यापारी जिसने मसालों के कारोबार की आड़ में मुल्क के राज़ मुल्क के दुश्मन तक पहुंचाए।
नोमान इलाही, डार्क वेब पर बैठा एक ऐसा ऑपरेटर, जो पैसों और पेन ड्राइव के बदले भारत की सैन्य जानकारी बेचता था।
गजाला और यमीन, जिनकी हर पाकिस्तान दौरे के पीछे एक खुफिया चाल छिपी थी।
अरमान और तारीफ़, जिन्होंने WhatsApp के जरिए देश को बेचा, एक बार नहीं, कई बार।
मुर्तजा, जिसने अपने मोबाइल ऐप से ISI को सीधा डेटा ट्रांसफर किया।
नउमान, जो फैक्ट्री का गार्ड बनकर लोगों की नज़रों से बचा रहा।
करनबीर सिंह, जिसने हर दिन देश की रक्षा के नाम पर विश्वासघात किया।

इन गिरफ्तारियों ने ये साफ कर दिया है कि जंग अब सिर्फ बॉर्डर पर नहीं लड़ी जा रही। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं।