“AAP की फिर बढ़ सकती हैं मुश्किलें, CAG रिपोर्ट में सिद्ध हुआ भ्रष्टाचार।”

CAG रिपोर्ट में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। CAG  की रिपोर्ट में अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में दिल्ली में विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा हुआ है। विशेष रूप से, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय (DOV) ने 193 स्कूलों में 2,405 कक्षाओं के निर्माण के दौरान “गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार” की बात सामने लाई है।
DOV ने शिक्षा विभाग और सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) से जवाब मांगने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की और इसे मुख्य सचिव को सौंप दिया। रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया एक बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त की गई है, जिसका संभावित मूल्य लगभग 1,300 करोड़ रुपये बताया गया है।

रिपोर्ट में न सिर्फ शिक्षा विभाग और PWD के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की गई है, बल्कि यह भी कहा गया है कि इस मामले की “विशेष एजेंसी द्वारा विस्तृत जांच” होनी चाहिए। इसके अलावा, सतर्कता विभाग ने अपने निष्कर्षों और संबंधित विभागों के जवाबों को केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को भेजने की भी सिफारिश की है, ताकि इस घोटाले की गहराई से जांच हो सके और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जा सके।

क्या था पूरा मामला?
  • अप्रैल 2015 में, सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण का निर्देश दिया था।
  • सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) को 193 स्कूलों में 2,405 कक्षाओं के निर्माण का कार्य सौंपा गया था।
  • PWD ने कक्षाओं की आवश्यकता का आकलन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया, जिसके आधार पर अनुमान लगाया गया कि 194 स्कूलों में कुल 7,180 कक्षाओं की आवश्यकता है, जो प्रारंभिक 2,405 कक्षाओं की आवश्यकता से लगभग तीन गुना अधिक थी।
 
आख़िर क्या लगे हैं आरोप?
  • सीवीसी (CVC) को 25 जुलाई 2019 को कक्षाओं के निर्माण में अनियमितताओं और लागत में अत्यधिक वृद्धि के बारे में शिकायत मिली।
  •  बिना निविदा आमंत्रित किए “अधिक विनिर्देशों” के नाम पर निर्माण लागत में 90% तक की वृद्धि की गई।
  •  दिल्ली सरकार ने बिना निविदा प्रक्रिया के 500 करोड़ रुपये की लागत वृद्धि को मंजूरी दी, जो GFR (जनरल फाइनेंशियल रूल्स) और CPWD (सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट) वर्क्स मैनुअल का उल्लंघन है।
  •  निर्माण कार्य की गुणवत्ता खराब रही और कई कार्य अधूरे रह गए।
CVC जांच रिपोर्ट के अनुसार:
  • मूल रूप से प्रस्तावित और स्वीकृत कार्यों के लिए निविदाएं जारी की गईं, लेकिन “अधिक विनिर्देशों” के कारण अनुबंध मूल्य 17% से 90% तक बढ़ गया।
  •  निर्माण लागत 326.25 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो निविदा में दी गई राशि से 53% अधिक थी।
  •  194 स्कूलों में 160 शौचालयों की आवश्यकता थी, लेकिन 1,214 शौचालयों का निर्माण किया गया, जिस पर 37 करोड़ रुपये का अतिरिक्त kharch हुआ।
  •  शौचालयों को दिल्ली सरकार द्वारा कक्षा के रूप में प्रस्तुत किया गया।
  •  141 स्कूलों में केवल 4,027 कक्षाएं ही बनाई गईं, जबकि आवश्यकता इससे अधिक थी।
  •  कोई नई निविदा प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, लेकिन फिर भी अतिरिक्त कार्य किए गए। कई परियोजनाओं के कार्य अब भी अधूरे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *